स्थानीय पीजीजीसीजी-11, महाविद्यालय चण्डीगढ़ के सभागार में प्राचार्या प्रो.(डॉ.) अनीता कौशल के कुशल नेतृत्व में हिन्दी, संस्कृत, दर्शन विभाग के पारस्परिक सहयोग से ‘विश्व हिंदी दिवस’ के विशेष उपलक्ष्य पर “प्रकृति रक्षा में साहित्य, जलवायु परिवर्तन का स्त्री समाज पर प्रभाव” विषय पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया।यह कार्यक्रम पंजाब नेशनल बैंक के सहयोग से शुरुआत समिति करनाल हरियाणा की पहल पर आधारित था।
कार्यक्रम की शुरुआत मंगलाचरण और माँ शारदा के गीत से आरम्भ हुई, जिसे महाविद्यालय की छात्राओं द्वारा गाया गया। तदुपरांत कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो (डॉ) अनिता कौशल का विधिवत् रूप से पुष्प भेंट से स्वागत किया गया। मुख्य अतिथि डॉ. राजेश प्रसाद, क्षेत्रीय प्रबन्धक, पीएनबी चण्डीगढ़, मुख्य वक्ता प्रो.(डॉ.) सुधा सिंह, हिन्दी विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय का विधिवत् रूप से पुष्पगुच्छ देकर और शाल व पुस्तकोपहार भेंट करते हुए स्वागत किया गया।
सत्र में मुख्य वक्ता डॉ. सुधा सिंह ने अपना वक्तव्य दिया उन्होंने कहा कि स्त्रीवादी दृष्टि से तार्किक शास्त्र सशक्त हो चुका है।स्त्री केंद्र में होने के कारण ही आधुनिक नवजागरण अधिक विकसित हुआ।इसके साथ ही उन्होंने पर्दा प्रथा से लेकर सुशिक्षित होने तक की दशा और दिशा पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए भारतीय स्त्रीवाद की महत्ता से रूबरू कराया।
इसके बाद द्वितीय सत्र में डॉ राजेश प्रसाद ने हिन्दी भाषा और उसकी संस्कृति के आर्थिक संवर्द्धन हेतु बैंकिंग का मेहतनीय योगदान पर विस्तार से प्रकाश डाला और कार्यालयों में भाषिक प्रयोग के महत्त्व पर बल दिया और साथ ही भाषा के हनन पर गहन चिन्ता की ओर भी चेताया और स्वदेश प्रेम की बात करते हुए भाषा की सेवा करके ही देश की सेवा की जा सकती है, पर बल दिया।
सत्र में पृथक्-पृथक् महाविद्यालयों से आए हुए 120 विद्यार्थियों ने प्रकृति रक्षा संबंधित कविताओं का पाठ किया और पोस्टर मेकिंग में भाग लिया तथा शुरुआत समिति करनाल के विद्यार्थियों ने पी एन बी के आर्थिक सहयोग से तैयार की गई लघु नाटिका के साथ संगीतमयी प्रस्तुतियाँ भी दी, जिससे सभागार में सभी श्रोतागण मंत्रमुग्ध हो गए।
इस कार्यक्रम में चण्डीगढ़ के सभी महाविद्यालयों से विद्यार्थीगण एवं शिक्षकगण उपस्थित रहे।
धन्यवाद ज्ञापन डॉ. मोहन लाल जाट ने किया I समापन सत्र में पुरस्कार वितरण सभी प्रतिभागियों को पुस्तकें भेंट कर सम्मानित किया गया।मंच संचालन की भूमिका डॉ. अम्बुज शर्मा ने बखूबी निभायी।कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के साथ संपन्न हुआ। इस दौरान प्रो गुनीता चड्ढा, प्रो मंजीत धवन, प्रो मोना सिंह, प्रो साधना वर्मा, डॉ मीना, डॉ कमल कृष्ण, डॉ संगम वर्मा आदि मौजूद रहे।